ख्वाहिश
ये जो दिन बीते हैं ख्वाहिश में
इनसे कह दो ये न दोबारा हो।
इस कदर तुम मे समाया
जैसे गलियों का आवारा हो |
बैठे-बैठे बस यही सोचा…
काश अगला समय हमारा हो।।
इतना पत्थर तुम बने कैसे,
मेरे गमों का तुम सहारा हो ।।
आज का दिन ऐसे गुजरा है
जैसे वर्षों तलक गुजारा हो
©®अमरेश मिश्र