ख्वाहिशो को आज हमने जिन्दा किया… !!
आज सपनों की ख्वाहिशों का इरादा मैंने किया,
आज अपनों की चाहत का तकाजा मैंने किया..!!
कौनसी खुशी थी, और कौनसे थे ग़म,
आज मुश्किलों मे दुआ का इजाफ़ा मैंने किया..!!
बेवक़्त ही चली आती है, ग़म के मारो को मुसीबत,
जितने थे गुनाह -ऐ -रिश्ते, सभी को अपना लिया..!!
कुछ नज़रो कि अदा मे, जो झलकी आज शर्म,
उनको भी माफ़ करके, गले से लगा लिया.. !!
कुछ जिंदादिल -ऐ -शख्स, मुझे पनाह दे गए,
उनका भी मैंने दिल से, शुक्रिया अदा किया.. !!
कुछ मेहमानों मे मेरा, रुतबा जो बढ़ गया,
उन्हें भी दिल -ऐ – शौक से, जस्नो का मजा दिया.. !!
आज अपने ही जिस्म पर, हमने भी गौर किया,
जो गहरे थे जख्म सारे, उनको सीला दिया… !!
मनमौज करते लफ्जो को, नयी शायरी का रुख दिया,
आज अपने शौकों का, पहरा बदल दिया… !!
हमने अपनी जिंदगी को, एक नया अंदाज़ दिया,
खुद की मुर्दा ख़्वाहिशों को आज हमने जिन्दा किया..!!