ख्वाहिशों के समंदर में।
हर किसी का दिल इश्क में यहां टूटा है।
ख्वाहिशों के समंदर में हर इंसा डूबा है।।1।।
ये जो कुछ भी है सब यही पर ही रहेगा।
इसमें कुछ भी ना तेरा कुछ ना मेरा है।।2।।
हर दिल का हाल तो बस खुदा ही जानें।
हमें क्या मालूम तू सच्चा है या झूठा है।।3।।
बहते हुए अश्कों से ना पूंछों दर्दे आलम।
इन्होंने बस रुखसार पर बहना सीखा है।।4।।
फरिश्ते से अमाल थे उस नेक सख्श के।
सारा शहर ही जिसकी मैय्यत पे रोया है।।5।।
होकर बर्बाद आशिकी में वो भटकता है।
हुस्न वालों ने उसको अदाओं से लूटा है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ