ख्वाहिशें
हमारे इश्क़ पे लगा हर इल्जाम मैं मिटाना चाहता हूँ ,
सच कहूं तो तेरे गले से लगकर के मैं रोना चाहता हूँ ।।
हां सच है कि थक गया हूं खुद से नजरे चुराते हुए मैं ,
जुल्म करना छोड़ दे तू मैं अब मुस्कुराना चाहता हूं ।।
तेरी मोहब्बत के काविल तो मैं बन ही नहीं पाया ,
इसलिए सदा के लिये मैं तुझसे दूर जाना चाहता हूं ।।
तू वेवफा है फिर भी तेरी यादें मुझे बेचैन करती हैं
मैं अपने जहन से तेरी यादों को मिटाना चाहता हूं ।।
सोने भी नहीं देती सपनो में आ नीदें हराम करती है
मदद कर ,तुझे अपने ख्वाबों से निकालना चाहता हूं ।।
आखें सूख गईं छलक के, दर्द दिल का खत्म हो गया,
मैं एक बार फिर से इस जिंदगी को जीना चाहता हूं ।।
वेखॉफ शायर :-
_राहुल कुमार सागर_
✍ बदायूंनी✍