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22 Jan 2017 · 1 min read

ख्वाब

खुलते बंद होते पलकें
जैसे ख्वाबों को
कैद कर लेना चाहते हों
खुले जो आँखें
खुद को दूर पाते
ख्वाबों की तरह
जो कुछ फासले पर
होकर भी
पहुँच से दूर
बहुत दूर होते हैं
और हम खुद को
तसल्ली देते
बस एक रात और
फिर सारे ख्वाब
हमारे
सिर्फ और सिर्फ
आसरे के सहारे •••••••••••••

Language: Hindi
234 Views
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