ख्वाब
जाने क्या हर्फ लिखे थे, उसके चेहरे की किताब में.
पढ़ के भी हम पढ़ ना पाये जब आई वो हिजाब में.
हमने जब उसको पूछा अपनी मोहब्बत के बारे में.
मुड़ा हुआ सफेद पन्ना आया, हमारे खत के जवाब में.
बोली जानकर क्या करोगे मोहब्बत की ये आयतें.
अभी तुम बहुत कच्चे हो इस इश्क के हिसाब में.
पा लेतें हैं लोग दुनिया में प्यार की अनगिनत नेमतें.
मेरे हिस्से कुछ ना आया, मोहब्बत के इस आब में.
ए दीप तुझे भी होश कहां था फ़ख्त उसे तकने के बाद.
जाने कौन सा नशा मिला था उन आंखों की शराब में.
✍️✍️…दीप