ख्वाब सुलग रहें है… जल जाएंगे इक रोज ख्वाब सुलग रहें है… जल जाएंगे इक रोज फिर क्या खाक होगा??? ज़ब सब खाक होगा -सिद्धार्थ गोरखपुरी