Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jun 2023 · 1 min read

ख्वाब में महबूब

कितनी रंगीन वो चाँदनी रात थी।।
चाँदनी रात थी, चाँदनी रात थी।।

तारों के बीच में एक माह-ए-जबीं।।
अप्सरा थी की वो या थी कोई परी।।
जुल्फें उसके थे पूरी खुली की खुली।।
जैसे गुलशन से होकर सबा हो चली।।

जैसे फूलों के खुशबू की सौगात थी।।
चाँदनी रात थी, चाँदनी रात थी।।

झील आँखे थी और स्याह उसके थे बाल।।
नागिनों की तरह थी अजब उसकी चाल।।
सर से ले करके पाँव तलक का वो ढाल।।
जिस्म ऐसे था मोती का जैसे मिसाल ।।

देखने को उसे जुगनुओं की लगी एक बारात थी।।
चाँदनी रात थी, चाँदनी रात थी।।

चेहरा उसका था गोया के वो चाँद था।।
देख करके जिसे इतना मैं शाद था
उसका एक अक्स था दिल के तालाब में,
उस हंसी रात में, उस हंसी खवाब में।।

ऐसा लगता था हूरों की वो जात थी।।
चाँदनी रात थी, चाँदनी रात थी।।

✍️ शाह आलम हिन्दुस्तानी

495 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

सच ज़िंदगी के रंगमंच के साथ हैं
सच ज़िंदगी के रंगमंच के साथ हैं
Neeraj Agarwal
Charlie Chaplin truly said:
Charlie Chaplin truly said:
Vansh Agarwal
हिंग्लिश में कविता (भोजपुरी)
हिंग्लिश में कविता (भोजपुरी)
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
*मस्ती*
*मस्ती*
Radhakishan R. Mundhra
4264.💐 *पूर्णिका* 💐
4264.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
🙅मैं नहीं कहता...🙅
🙅मैं नहीं कहता...🙅
*प्रणय*
‘पथ भ्रष्ट कवि'
‘पथ भ्रष्ट कवि'
Mukta Rashmi
कविता
कविता
Rambali Mishra
दर्द
दर्द
ललकार भारद्वाज
मित्रता मे बुझु ९०% प्रतिशत समानता जखन भेट गेल त बुझि मित्रत
मित्रता मे बुझु ९०% प्रतिशत समानता जखन भेट गेल त बुझि मित्रत
DrLakshman Jha Parimal
महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी
महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी
Seema gupta,Alwar
वह है हिंदी हमारी
वह है हिंदी हमारी
gurudeenverma198
समय ⏳🕛⏱️
समय ⏳🕛⏱️
डॉ० रोहित कौशिक
डॉ. नामवर सिंह की रसदृष्टि या दृष्टिदोष
डॉ. नामवर सिंह की रसदृष्टि या दृष्टिदोष
कवि रमेशराज
"नाम तेरा होगा "
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
मैं कुछ नहीं चाहती
मैं कुछ नहीं चाहती
Jyoti Roshni
*जीत का जश्न*
*जीत का जश्न*
Santosh kumar Miri
नींव में इस अस्तित्व के, सैकड़ों घावों के दर्द समाये हैं, आँखों में चमक भी आयी, जब जी भर कर अश्रु बहाये हैं....
नींव में इस अस्तित्व के, सैकड़ों घावों के दर्द समाये हैं, आँखों में चमक भी आयी, जब जी भर कर अश्रु बहाये हैं....
Manisha Manjari
क्या करे ये गय्या मय्या!
क्या करे ये गय्या मय्या!
Jai krishan Uniyal
मै ज़ब 2017 मे फेसबुक पर आया आया था
मै ज़ब 2017 मे फेसबुक पर आया आया था
शेखर सिंह
"चिन्तन का कोना"
Dr. Kishan tandon kranti
"सुबह की चाय"
Pushpraj Anant
मां
मां
Indu Singh
अन्तर्मन में अंत का,
अन्तर्मन में अंत का,
sushil sarna
पंख कटे पांखी
पंख कटे पांखी
Suryakant Dwivedi
वो इँसा...
वो इँसा...
'अशांत' शेखर
कौन मनाएगा तुमको
कौन मनाएगा तुमको
Shekhar Chandra Mitra
- जिम्मेदारीया -
- जिम्मेदारीया -
bharat gehlot
वेदों की जननी…नमन तुझे!
वेदों की जननी…नमन तुझे!
मनोज कर्ण
इश्क़ में कोई
इश्क़ में कोई
लक्ष्मी सिंह
Loading...