ख्वाब एक टूटा…
गर ख्वाब एक टूटा तो क्या रातें बहुत हैं,
बहुत और हैं नये सपने यहाँ बातें बहुत हैं…
तेरी चाह न हुई पूरी तो कोई गिला नहीं है,
कई और हसींन गुलशन तेरे वास्ते बहुत हैं…
तूने गिर-गिर के हमेशा सीखा है खड़ा होना,
तो ये फ़िक्र भला क्या कि यहाँ रास्ते बहुत हैं…
बुलंदी मुकाम होगा तू यकीं दिल में ये रखना,
क्या सोचना कि जीत-हार के बहीखाते बहुत हैं….
©विवेक’वारिद’*