ख्वाबों में मिलना
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ख्वाबों में मिलना होता है अक्सर।
और फिर रतजगा होता है रातभर।
इज्तिराब ए शौक हम से न पूछिए
खून के आंसू तू रूलाए सितमगर।
कौन निकल पाया है इस कैद से
बहुत हसीं इश्क़ का है कारागर ।
दीवाने हैं,लोगों को क्या समझाए
किसे ढूंढते फिरते हैं दर ब दर।
ख़ाक हो रहा गया ,नाम उनका
इश्क़ की जद में आए जो नामावर।
सुरिंदर कौर