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5 Sep 2021 · 1 min read

ख्वाबों की मंजिल

खौफ में
हरदम जीने से तो
बेहतर है कि
मर जायें
मरकर शायद
वह हासिल हो जाये
ख्वाबों की मंजिल मिल
जाये जो
जीते जी न मिली।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
229 Views
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