ख्वाइश (विवेक बिजनोरी)
“मेरे ताक -ऐ- हुजरे के दीपक जला दे कोई,
दिया,बाती, तेल सब तैयार है बस माचिस दिखा दे कोई
मैं भूलता सा जा रहा हंसी क्या ख़ुशी क्या,
एक धुंदली सी तस्वीर है कुछ याद दिला दे कोई
ढूंढता मैं फिर रहा अल्फ़ाज इबादत के लिए,
सजदा कैसे होता है ये आज सीखा दे कोई
झंजटो ने घेर रखा है हर तरफ से मुझे,
ग़ुरबत में हूँ बस रास्ता बता दे कोई
एक अरसे से सोये हैं जज्बात मोहब्बत के,
हलके से आके ख्वाब में इनको जगा दे कोई
मैं तो फकीर हूँ मुझे दौलत मयस्सर कहाँ,
दरयादिली दिखाऊंगा बस प्यार जता दे कोई”
“मेरे ताक -ऐ- हुजरे के दीपक जला दे कोई,
दिया,बाती, तेल सब तैयार है बस माचिस दिखा दे कोई
(विवेक बिजनोरी)