धोरां वाळो देस
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
* फर्क दिलों-जिस्म में हो ना *
वो जिस्म बेचती है, वैश्या कहलाती है
अच्छे कर्मों का फल (लघुकथा)
Agar tum Ladka hoti to Khush Rah paati kya?....
हर इंसान को भीतर से थोड़ा सा किसान होना चाहिए
फागुन
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
जिंदगी का चमत्कार,जिंदगी भर किया इंतजार,
किसी का कुछ भी नहीं रक्खा है यहां
- तेरी यादें मेरे जीवन का एक हिस्सा -
हर प्रेम कहानी का यही अंत होता है,
मोहब्बत ने तेरी मुझे है सँवारा
singh kunwar sarvendra vikram
साहब का कुत्ता (हास्य-व्यंग्य कहानी)
एक सूरज अस्त हो रहा है, उस सुदूर क्षितिज की बाहों में,
प्रेम सच्चा अगर नहीं होता ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
लगा जैसे उसकी आंखों में सारा समंदर समाया हो,
ଏହା କୌଣସି ପ୍ରଶ୍ନ ନୁହେଁ, ଏହା ଏକ ଉତ୍ତର ।
*बदकिस्मत थे, जेल हो गई 【हिंदी गजल/गीतिका】*