ख्याल तेरा
आज फिर किसी का ख्याल आया है
दर्द फिर मेरी कलम में मुस्कुराया है
नाम नही है उसका मेरे अल्फाज़ में
पर ज़िक्र उसी का समाया है
प्रज्ञा गोयल©®
आज फिर किसी का ख्याल आया है
दर्द फिर मेरी कलम में मुस्कुराया है
नाम नही है उसका मेरे अल्फाज़ में
पर ज़िक्र उसी का समाया है
प्रज्ञा गोयल©®