खो जाते हैं
बहते निर्झर
तालाबों के
ठहरावों में
खो जाते हैं।
भंवरों के चंचल मन
अक्सर
महताबों में
खो जाते हैं।
तुम अपने अधरों से
जब जब
मेरी पलकों को छूती हो,
नैन मुसाफिर
उम्मीदों के
बहकावों में
खो जाते हैं।।
संजय नारायण
बहते निर्झर
तालाबों के
ठहरावों में
खो जाते हैं।
भंवरों के चंचल मन
अक्सर
महताबों में
खो जाते हैं।
तुम अपने अधरों से
जब जब
मेरी पलकों को छूती हो,
नैन मुसाफिर
उम्मीदों के
बहकावों में
खो जाते हैं।।
संजय नारायण