खो जाऊं
मैं खो भी जाऊँ तो मुझे ढूंढने मत आना तुम,
और आना तो किसी को बोलके न आना तुम,
बड़ी देर लग गई है मुझे यहां समझदार होने में,
अब प्यार भरी बातों में मुझे न उलझाना तुम,
सीखा हूँ बस अभी-अभी हुनर की उड़ान भरना,
ज़मी से ज़रा उठ जाऊँ तो मुझे न बतलाना तुम,
बना चुका हूँ पहचान इस ज़ालिम जमाने में अपनी,
गुजारिश है मुझे मजहब मेरा न दिखलाना तुम।।
राही अंजाना