खो गया सपने में कोई,
**खो गया सपने में कोई**
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आ गई रात,
आ गया
सपने में कोई !!
ढल गई रात
खो गया सपने में कोई !!
स्तब्ध निशा के
भॅवरजाल में
जैसे बंधता कोई !!
छम छम घुंघरू के
झुन झुन में,
बीन बजाता कोई !!
ढल गई रात
खो गया सपने में कोई !!
बीच सितारों के आंगन में
आॅख मिचौनी कोई !!
परियों की स्वप्निल आभा में
नाम ले गया कोई !!
सागर लहरों पर चलते
पतवार ले गया कोई !!
गहरी नदिया की धारा में
पांव धो गया कोई !!
चमक रहे तारों की छवि से
झोली भर गया कोई!!
अनजाने में रहा रात भर
नींद ले गया कोई!!
आ गई रात
आ गया सपने में कोई !!
ढल गई रात
खो गया सपने में कोई !!
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*© मोहन पाण्डेय ‘भ्रमर ‘
दिनांक ६मार्च २०२४