खोट
रवि और कोमल की शादी को हुए पूरे चार वर्ष हो चुके थे परंतु अभी तक कोई संतानोत्पत्ति की खुशखबरी नही मिलने से कोमल को ससुराल वालों से रोज रोज बस वही ताने सुनने को मिलते कि “न जाने कहां से ये मनहूस हमारे बेड़े (परिवार) में आ गई, बांझ कही की”
इस पर रवि परिवार वालो के खिलाफ बोलने लगता तो पहले ही कोमल उसे डांटकर चुप करा देती और कहती की ये मेरे और मां जी के बीच की आपस की बात है दो महिलाओं के बीच में आपको नही पड़ना चाहिए । वो आपकी मां है तो मेरी भी सासु मां है । आप उन्हें कुछ भी नही बोलोगे आप को मेरी सौगंध है ।
बस इसी लिए रवि कुछ नही बोल पाता और अपने आप को ठगा सा महसूस करता और अपने मन में उठ रहे ज्वाला को अंदर ही दबाकर बस कुंठित हो जाता ।
कोमल के ससुराल वाले कोमल को जहां भी पता चलती सभी देव, धाम, पड़िहार, बाबा के पास अमावस पून्णम में लेकर जाते पर कोई फायदा न मिलता । इस पर कोमल को और भी कई सारे ताने सुनने को मिलते पर कोमल बेचारी बस अपना सिर झुकाए अपना नियति मानकर बस सुनती रहती ।
एक दिन कोमल और रवि इसी निः संतानता की समस्या को लेकर शहर की जानी मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ (गायनोकोलॉजिस्ट) के पास सम्यादेश (अपॉइंटमेंट) लेकर चले गए । डॉक्टर ने सबसे पहले कोमल की सारी जरूरी जांचे कराई तो उन सब जांचों के परिणाम बिलकुल सामान्य आये कहीं कोई कमी या कोई खोट नहीं निकले ।
इसके बाद डॉक्टर ने रवि के भी वीर्य (सीमेन) के नमूने लिए । तब पैथोलॉजी परिणाम में सामने आया की रवि के वीर्य में शुक्राणुओ की गणना (स्पर्म काउंट) बहुत ही कम है जिससे कोमल को गर्भ धारण करने में समस्या आ रही थी । क्योंकि शुक्राणुओं की कमी से हर माह बनने वाले अंडाणु निषेचित नही हो पा रहे थे ।
ये देखकर रवि की आंखों में खुशी और ग्लानि के आंसू बह निकले क्योंकि आज के बाद उसके परिवार वाले कोमल को कभी ताना नही मारेंगे और ग्लानि इस बात की थी की खोट स्वयं रवि में थी पर उसके लिए सब कुछ सुनना कोमल को पड़ता था । अब वह अपने परिवार के लोगो को शान से कह सकता है की “खोट कोमल में नही बल्कि तुम्हारे बेटे याने मुझमें है” आज से कोमल को बांझ और मनहूस कहके कोई नही बोलेगा ।
बस यहीं बात रवि के मन से बहुत बड़े से बोझ को हल्का कर रही थी ।