खोटा भाई और उनकी फाइल।
गंभीर माहौल है। दो महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों के लिए सीट शेयरिंग की बात चल रही है। मसला लगभग तय हो चुका है बस कुछेक सीटों के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा चल रही है। तभी माहौल की तनावपूर्ण शान्ति को भेदती आदरणीय कुमारिका जी का सेल फोन बजता है। घिघ्घी राजा की शातिर निगाहें कुमारिका जी की तरफ उठती हैं पर वे उसे इग्नोर करते हुए बाहर लॉन में आ जाती हैं।
खोटा भाई : हेलो कुमारिका जी मैं खोटा भाई बातचीत कैसी चल रही है ? कुछ फैसला हुआ।
कुमारिका जी के माथे पर तनाव की सलवटें आकर बैठ जाती हैं।
कुमारिका जी : खोटा भाई सब ठीक चल रहा है। समझौता लगभग हो गया है बस कुछ सीटों पर पेंच फंसा हुआ है।
खोटा भाई : पेंच तो यहां भी फसा हुआ है अन्यथा आपको डिस्टर्ब नहीं करता।
कुमारिका जी: कैसा पेंच !
खोटा भाई: मेरे टेबल पर कुछ फाइलें पड़ी हैं , जो आपके बारे में है, ख़ैर फोन इसलिए नहीं किया बल्कि यह बताने के लिए किया है कि घिग्घी को यूं ही घिग्घी नहीं कहते । गठबंधन के बहाने खान्ग्रेस आपका पूरा वोट आधार चाट जाएगी क्योंकि दोनों का आधार लगभग एक ही है और राहुल का चिकना चेहरा आज पूरे देश में छाया हुआ है।
कुमारिका जी: भाई ऐसा कुछ नहीं है।
खोटा भाई : अरे आदरणीया आप रंग के महत्व को कम न आंके , अरबो खरबों का बाजार है भारत में फेयरनेस क्रीम का। खैर आपका हित हूँ इसलिए आगाह किया। वैसे भी समय कम है फाइलों का विस्तृत अध्धयन करना है। अच्छा जी तो नमस्कार।
कुमारिका जी कमरें में वापस आती हैं। प्रयास करने के पश्चात भी मुखड़ा उतरा हुआ है।
घिघ्घी राजा: किससे बात हो रही थी इतने देर तक , तनाव में क्यों लग रहीं हैं , कोई समस्या ?
कुमारिका जी : नहीं ऐसा कुछ नहीं , चलिये संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं।
घिग्घी राजा: पर बाकी बची सीटे ?
कुमारिका जी: बडी बात नहीं। उनपर बाद में फैसला कर लेंगे।
डायस पर दोनों नेता मौजूद। सामने पत्रकारों का उत्सुक हुजूम।
घिग्घी राजा: कुमारिका जी आपसे संबोधित होंगी।
कुमारिका जी : आगामी दोनों राज्यों में होने वाले चुनाव के लिए गठबंधन नहीं बन पाया है ( घिग्घी राजा का मुहँ आश्चर्य से खुल जाता है ) मैं इस बात से बहुत निराश हूँ पर क्या करूँ कार्यकर्ताओं की बात अनसुनी नहीं कर सकती। उनका कहना है कि गठबंधन के बहाने खान्ग्रेस उनको समाप्त करना चाहती है। आज के लिये बस इतना ही।
घिग्घी राजा की घिग्गी बंध चुकी है। पत्रकारों को ब्रेकिंग न्यूज़ मिल चुकी है । गठबंधन के समर्थकों का ह्रदय भग्न हो चुका है।
सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने आफिस में बैठे खोटा भाई लगभग केशविहीन हो चुके सर पर हाथ फिराते हुये मंद मंद मुस्करा रहे हैं।
फाइलों का फीता तक नहीं खोला गया है।
कुमारकलहंस।