Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Dec 2022 · 3 min read

खोटा ज़माना

1खोटा ज़माना

घणा माड़ा टेम आग्या
परिवार कुमबे की इज्जत ढेर
एक बुझे रोटी की
दुसरा कह खा गा के
कौन सी रोटी
मोटी मोटी रोटी
पतली पतली रोटी
फूली होड़ रोटी
बिना फूली रोटी
तन्नै ना बेरा रोटी का
रोटी होवे सै चार ढ़ाल की
पहली रोटी हो सै मां की
जिसमें ममता, प्यार अर वात्सल्य हो सै
इसके गेल्यां गेल्यां स्वाद भी
पेट भर ज्या पर मन नी भरदा
दूसरी रोटी हो सै घरवाली की
जिसमें समर्पण अर प्यार हो सै
या स्वाद तो होव सै
मन अर पेट दोनों भर ज्या सै
तिसरी रोटी हो सै बुढ़ापे की
जो पुत्रवधू बणाकै देवे
जिसमें आदर सत्कार सम्मान होवे सै
स्वाद का पता नी मन भरज्या है
चौथी रोटी का के जिक्र करू मैं
या होव सै काम आळी बाई की
जिसमें ना पेट भर था
ना मन भरदा
ना स्वाद
ना ज़ायका
बस एक सै
चारो रोटी औरत के
हाथ म्ह होकर जावै सै
क्योंकि औरत के अन्दर
होती है
ममता, प्यार, वात्सल्य,
समर्पण,आदर, सत्कार
ज़माना खोटा न्यू सै
जो पहले था वो ईब नी।

खान मनजीत भावड़िया मजीद
9671504409

2
ना रह्या

ना रह्या वो कुणबा काणबा
ना रह्या वो मेल – जोल
ना रह्या वो हस्सी ठठ्ठे
ना रह्या वो पनघट नीर
ना रह्या वो कुआं बावड़ी
ना रह्या वो छाज छाबड़ी
ना रह्या जोहड़ में नाहणा
ना रह्या वो तलाब सरोवर
ना रह्या वो चुल्हा हारा
ना रह्या वो सीपी खुरचण
ना रह्या वो टसरी पगड़ी
ना रह्या वो मड़कन जूती
ना रह्या वो मिट्टी तेल और दिवा
ना रह्या वो झाकरा पिहाण
ना रह्या वो मेहनती पशु पखेरू
ना रह्या वो हार सिंगार
ना रह्या वो हथफूल टीक्का
ना रह्या वो केंदू का पेड़
ना रह्या वो काग काबर
ना रह्या वो बाज व चील
ना रह्या वो देशी खाणा
ना रह्या वो देशी गाणा
ना रह्या वो हाळी पाळी
ना रह्या वो पलंग निवार
ना रह्या वो साळ बिसाळा
ना रह्या वो बळदा की चुरासी
ना रह्या वो रैहडा़ ना अरथ
ना रह्या वो जेळवा ना बेलुआ
ना रह्या वो पळवी पळवा
ना रह्या वो बात वो सूत
ना रह्या वो पीढ़्या पाटड़ी
ना रह्या वो रस्सा नेत
ना रह्या वो खुद्दा खाद्दा
और के बताऊं

खान मनजीत भावड़िया मजीद
9671504409

3
रागनी थाली लौटे आला सूं ं

खान मनजीत भावड़िया मजीद

मेरे मन में सब की चिन्ता , जबर भरोटे आला सू
दिन रात कमाऊ मैं फेर भी , थाली लौटे आला सू

पता नहीं बोझ तले , सै पीढ़ी कौन सी म्हारी रै ,
मूंछ होती जा रही आज , दाढी तै भी भारी रै ,
दे रहा कर्जा बाप का रै , इब सै बेटा की बारी रै ,
किस पै करु यकीन मै , खेत नै बाड़ खारी रै ,
चोर लुटेरे साहूकार होगें , मैं टोटे आला सू
दिन रात कमाऊ मैं फेर भी , थाली लौटे आला सूं

दिन रात हाड़ तुड़ाए , मेरी आई सही करड़ाई
मेरा बहता खून पसीना , मेरे तै दिया राह दिखाई
ऊंची – ऊंची महल अटारी , मन्नै तै सदा शिखर – चढ़ाई
रेल बस मेरी मेहनत , मन्नै सड़क तक बिछाई ,
तू कार जहाज में ऐश करे , मैं बुग्गी झोटे आला सूं
दिन रात कमाऊं मैं फेर भी , थाली लौटे आला सूं

पा तुड़ाऊ ईंट ढोऊ , महल बणवाऊं साहूकारा कें ,
हाथ जलै सै फैक्ट्री मैं , सब पुर्जे सै थारी कांरा कै ,
थाम गाबरु अस्सी तक कै , सा हम बुढ़े सत्रह – ठारा कै , आज तक मेरे दम पै , मालिक बणे थम बहारां कै ,
थाम बणो सो मेरे कारण बड़े , मै सबलै छोटे आला सूं
दिन रात कमाऊं मैं फेर भी ,. थाली लौटे आला सूं

मेरे कमाई मेरे घर में , ना दिखाई दे री ,
भूखा सै आज कमेरा , न्यू होगी दूबाढेरी ,
आगै लिकड़गै बहोत घणे , ना कीमत सै आज मेरी ,
किसे के ना समझा मे आरी , समझाण की कोशिश करी भतेरी ,
बणाए हुए सिक्के चाल्ये मेरे , मै सिक्का खोटे आला सूं दिन रात कमाऊं मैं फेर भी , थाली लौटे आला सूं

थामनै जादू मानया इसा , हाथ फेरा आख्यां पैं ,
जाति धर्म का करो बटवारा , बाधी पट्टी मेरी आख्यां पैं , ऊँच नीच तमनै राखी सदा दिखा के साहसी आख्यां पैं , खान मनजीत तू बोवला होरा , कमा के घमेरी आख्यां पै , घणा व्होत चुप रहग्या मै , मै चालै मोटे आला सूं ,
दिन रात कमाऊं मैं फेर भी , थाली लौटे आला सूं

गांव – भावड़ , गोहाना ( सोनीपत )

Language: Hindi
90 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सुबह का नमस्कार ,दोपहर का अभिनंदन ,शाम को जयहिंद और शुभरात्र
सुबह का नमस्कार ,दोपहर का अभिनंदन ,शाम को जयहिंद और शुभरात्र
DrLakshman Jha Parimal
तुमने सोचा तो होगा,
तुमने सोचा तो होगा,
Rituraj shivem verma
जिसने अपने जीवन में दुख दर्द को नही झेला सही मायने में उसे क
जिसने अपने जीवन में दुख दर्द को नही झेला सही मायने में उसे क
Rj Anand Prajapati
जो
जो "नीट" है, उसे क्लीन होना चाहिए कि नहीं...?
*प्रणय प्रभात*
जीवन दर्शन मेरी नज़र से. .
जीवन दर्शन मेरी नज़र से. .
Satya Prakash Sharma
Mere papa
Mere papa
Aisha Mohan
चाय ही पी लेते हैं
चाय ही पी लेते हैं
Ghanshyam Poddar
*मन का मीत छले*
*मन का मीत छले*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पेड़ और नदी की गश्त
पेड़ और नदी की गश्त
Anil Kumar Mishra
साइस और संस्कृति
साइस और संस्कृति
Bodhisatva kastooriya
हम पर एहसान
हम पर एहसान
Dr fauzia Naseem shad
"शोर"
Dr. Kishan tandon kranti
इस धरती के आगे
इस धरती के आगे
Chitra Bisht
गांवों के इन घरों को खोकर क्या पाया हमने,
गांवों के इन घरों को खोकर क्या पाया हमने,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पलकों पे सपने लिए, लाँघे जब दहलीज।
पलकों पे सपने लिए, लाँघे जब दहलीज।
डॉ.सीमा अग्रवाल
5) “पूनम का चाँद”
5) “पूनम का चाँद”
Sapna Arora
All good
All good
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"समय का भरोसा नहीं है इसलिए जब तक जिंदगी है तब तक उदारता, वि
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को समर्पित
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को समर्पित
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
बेटी का बाप हूँ न
बेटी का बाप हूँ न
Suryakant Dwivedi
दुआ सलाम न हो पाए...
दुआ सलाम न हो पाए...
अरशद रसूल बदायूंनी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
कवि रमेशराज
चाहे बड़े किसी पद पर हों विराजमान,
चाहे बड़े किसी पद पर हों विराजमान,
Ajit Kumar "Karn"
जब तक दुख मिलता रहे,तब तक जिंदा आप।
जब तक दुख मिलता रहे,तब तक जिंदा आप।
Manoj Mahato
राज्य अभिषेक है, मृत्यु भोज
राज्य अभिषेक है, मृत्यु भोज
Anil chobisa
जिंदगी खफा हो के किनारे बैठ गई है
जिंदगी खफा हो के किनारे बैठ गई है
Smriti Singh
प्रेरणा
प्रेरणा
पूर्वार्थ
माँ-बाप का किया सब भूल गए
माँ-बाप का किया सब भूल गए
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*दादी ने गोदी में पाली (बाल कविता)*
*दादी ने गोदी में पाली (बाल कविता)*
Ravi Prakash
वोट की खातिर पखारें कदम
वोट की खातिर पखारें कदम
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Loading...