खेल से नाता-अपना बनाओ
खेल से नाता-अपना बनाओ
शिक्षा संग है, खेल जरूरी
जीवन में, इसको अपनाओं
सुख से जीवन, जीना है तो
खेल से नाता अपना बनाओं।
खेल खेलना, बहुत जरूरी
समझदार तुम बन जाओ ।
थोड़ा समय, इसको देकर तुम
आनंद मंगल फिर पाओं।
रोज घूमने, पैदल जाओ
खेल से नाता, अपना बनाओ।।
अपनी व्यस्त, दिनचर्या में भी
सैर-सपाटे, पर तुम जाओ
दौड़-भाग और, कसरत करके
हड्डियों को, मजबूत बनाओ।
हँसते रहो और, सब को हँसाओं
खेल से नाता, अपना बनाओ।।
सूर्योदय से, पहले उठकर
नित नियम यह,अपना बनाओ
दातुन-कुल्ला करके हर दिन
योग साधना, में लग जाओ ।
निद्रा त्याग, जल्दी उठ जाओ
खेल से नाता, अपना बनाओ।।
हष्ट पुष्ट हमको, यह बनाता
तन की पीड़ा, दूर भगाता
पाचन शक्ति, मजबूत बनाकर
आलस्य यह, दूर भगाता।
दूध-दही तुम, खूब है खाओ
खेल से नाता, अपना बनाओ।।
मोटापा कभी, पास ना आए
रोग-दोष यह, दूर भगाए
एकाग्रता की, जोत जलाकर
भाईचारे की, अलख जगाए।।
सब बच्चों को, यह समझाओ
खेल से नाता, अपना बनाओ।।