Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jul 2019 · 1 min read

खेल वक्त का

वक्त नहीं उन्हें
परवाह
करने की हमारी
हमने उनकी
यादों में
काट दी जिन्दगी

चिता भी
है बड़ी बेशरम
जलाती रहती है
शरीर
और कहती है
चिंता से
जला इन्सान का
तन

करते रहे
माता पिता
परवाह
बच्चों की
जिन्दगी भर
बुढ़ापे में
छोड़ दी
चिन्ता
बच्चों ने

करों परवाह
शरीर की
रखोगे
चुस्त दुरुस्त
तो नहीं
करनी पड़ेगी
चिन्ता
बीमारी की

करता है
मौला परवाह
बन्दों की
फिर क्यों
फिक्र करे
फकीर

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
1 Like · 265 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

तुम्हारी मुस्कराहट
तुम्हारी मुस्कराहट
हिमांशु Kulshrestha
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
Ranjeet kumar patre
मध्यमवर्ग
मध्यमवर्ग
Uttirna Dhar
🙏गजानन चले आओ🙏
🙏गजानन चले आओ🙏
SPK Sachin Lodhi
आत्मविश्वास
आत्मविश्वास
इंजी. संजय श्रीवास्तव
भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा
भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"दोस्त और मुश्किल वक़्त"
Lohit Tamta
मोहभंग बहुत जरूरी है
मोहभंग बहुत जरूरी है
विक्रम कुमार
बोल दे जो बोलना है
बोल दे जो बोलना है
Monika Arora
राम सिया की होली देख, अवध में हनुमंत लगे हर्षांने।
राम सिया की होली देख, अवध में हनुमंत लगे हर्षांने।
राकेश चौरसिया
अनवरत ये बेचैनी
अनवरत ये बेचैनी
Shweta Soni
फूल अब शबनम चाहते है।
फूल अब शबनम चाहते है।
Taj Mohammad
जिस्म से जान निकालूँ कैसे ?
जिस्म से जान निकालूँ कैसे ?
Manju sagar
नारी का क्रोध
नारी का क्रोध
लक्ष्मी सिंह
फूल खिले हैं डाली-डाली,
फूल खिले हैं डाली-डाली,
Vedha Singh
मेरी शान तिरंगा है
मेरी शान तिरंगा है
Santosh kumar Miri
"दानव-राज" के हमले में "देव-राज" की मौत। घटना "जंगल-राज" की।
*प्रणय*
ईश्वर की व्यवस्था
ईश्वर की व्यवस्था
Sudhir srivastava
नए पुराने रूटीन के याचक
नए पुराने रूटीन के याचक
Dr MusafiR BaithA
यहाँ श्रीराम लक्ष्मण को, कभी दशरथ खिलाते थे।
यहाँ श्रीराम लक्ष्मण को, कभी दशरथ खिलाते थे।
जगदीश शर्मा सहज
सभी फैसले अपने नहीं होते,
सभी फैसले अपने नहीं होते,
शेखर सिंह
आँखों में नींदें थी, ज़हन में ख़्वाब था,
आँखों में नींदें थी, ज़हन में ख़्वाब था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*अध्यात्म ज्योति* : वर्ष 53 अंक 1, जनवरी-जून 2020
*अध्यात्म ज्योति* : वर्ष 53 अंक 1, जनवरी-जून 2020
Ravi Prakash
4042.💐 *पूर्णिका* 💐
4042.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सज्जन से नादान भी, मिलकर बने महान।
सज्जन से नादान भी, मिलकर बने महान।
आर.एस. 'प्रीतम'
*राज दिल के वो हम से छिपाते रहे*
*राज दिल के वो हम से छिपाते रहे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*प्यासा कौआ*
*प्यासा कौआ*
Dushyant Kumar
मुहब्बत भी मिल जाती
मुहब्बत भी मिल जाती
Buddha Prakash
किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व पार्टी से कही बड़ा होता है एक
किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व पार्टी से कही बड़ा होता है एक
Rj Anand Prajapati
ग़ज़ल _ मुझे भी दे दो , गुलाब जामुन ,
ग़ज़ल _ मुझे भी दे दो , गुलाब जामुन ,
Neelofar Khan
Loading...