खेल और राजनीती
ये बहुत ही अफसोस की बात है हम विश्वकप क्रिकेट का अंतिम मैच नही जीत पाए शुरू में कमजोर लगनेवाली ऑस्ट्रेलिया टीम से हार गए। आखिर खेल है इसमें हार जीत लगी रहती है बस इतनी सी बात बोलकर हम खुद को तसल्ली दे रहे है मगर अस्सल में जहाँ एक मजबूत भारतीय टीम जो लगातार अपने बाहुबली प्रदर्शन से दस मैच जीत कर अंतिम मुकाबले तक पहुँची और विश्वकप 2023 में शामिल होनेवाली हर एक टीम को हराया है ये एक भारतीय टीम के खिलाडियों का मानसिक तथा शारीरिक रूप से मजबूत तथा सक्षम होने का प्रमाण है। न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल तक भारतीय टीम पूरी तरह मैदान में स्पार्टन के तरह लड़ते नजर आती है और अंतिम फाइनल में ऐसा क्या हो गया कि बैटिंग में भारतीय टीम संभल नही पाई? फेसबुक व्हाट्सअप और इंस्टा के सोशल मीडिया यूनिवर्सिटी से बहुत से लेख पढ़ने के बाद कुछ बाते सामने आती है उसपर भी हम सोच सकते है
1. आप भूतकाल में कितने सफल (कल तक) हो मायने नही रखता,कल की मेहनत आपके काम नही आएगी आपको आज सफल होने के लिए आज मेहनत करनी पड़ेगी तो हमारे सफल होने के ज्यादा चांस बढ़ सकते है।
2.आपकी मेहनत,आपकी स्किल और आपके भूतकाल के सफलता से ज्यादा आज सफलता के लिए की जानेवाली स्ट्रेटेजी (strategies) महत्त्वपूर्ण होती है।
3. आपके टीम के सफल होने के क्या प्रोसेस है? उस पर ज्यादा फोकस करना जरूरी था ना की सफलता को धर्म,जाती, अभिमान,इमोशन और राजकारण से जोड देना
4.आपकी टीम में खेलनेवाले सहयोगी हर मैच में बेस्ट दे सकते है इस बात पर विश्वास न रखते हुए आपको एक लीडर की तरह नेतृत्व करना है जब तक आप मैदान में है।
5.हर बार खेलने की एक ही तरीका आपको सफल बना सकता है इस वहम में आपकी जीत तय नही होती।जिस तरह चेस में हमेशा अलग स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल किया जाता है और बाज़ी जितने के लिए तरीके बदलने पड़ते है। हर खेल में यह लागू होता है जैसे रोहित के खेलने के तरीके से ऑस्ट्रलियन खिलाडी परिचित थे यहाँ अलग स्ट्रेटेजी का प्लानिंग करना जरुरी था।
6.भारतीय लोगो को और खिलाड़ियों को एक सिख लेना जरूरी है के होमहवन,महाआरती, पूजाअर्चा, झूठी भविष्यवाणी, दाया या बाया पैड पहले पहनना ये सब बाहर की बातें आपको कुछ पल के लिए समाधान देगी मगर जो जितने का जुनूँ है वो जज़्बा आप अंदर से कितने मजबूत हो इसपर निर्भर करता है।
7.जो टीम लीडर या कप्तान होता है उसका एक मेंटल स्ट्रेटेजी का पैटर्न होना चाहिए जो विरोधी टीम तथा खिलाड़ियों पर मानसिक आघात करे । अपने सपनो को मीडिया के सामने रखने का “Mental Breaking Pscycology Pattern” होता है जो ऑस्ट्रलिया के कप्तान ने करके दिखाया के हमें 1.3 लाख भारतीय को शांत बिठाना है क्यूँ तो भारतीय खिलाड़ियों को मिलनेवाला मानसिक बल और आधार भारतीय टीम के लिए समर्थनिय है, ये उनकी ऑस्ट्रेलिया टीम पर हावी हो सकता है।जब सफल होने के लिए एक ही बात को बार बार दोहराया जाता है तो उसका एक मानसिक दबाव भी विरोधियो पे तैयार होता है जो भारतीय टीम पर तैयार हुवा और ना चौका/ना छक्का लग रहा था और लगातार विकेट से मैदान शांत हो रहा था और भारतीय खिलाड़ियों के हौसले टूट रहे थे।
8.खेल के प्रति देश में एक खेल भावना की मानसिकता लोगो में निर्माण करना जहाँ धर्म और राजकारण से इसे ना जोड़ा जाए आप खेल को धर्मयुद्ध में परिवर्तित करके और इसके फलस्वरूप आपका इसपर राजनितिक रोटी सेकना ऐसे गैरजरूरी मुद्दे को टालना जरुरी है।
क्या होता यदि हम 2023 का क्रिकेट विश्वकप जित लेते? क्या प्रिंट मीडिया,इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और ये अंधभक्तो का सोशल मीडिया ये एक अलग राजकीय मानसिकता और चुनावी मुद्दे के लिए इस्तेमाल करने पर आमादा रहता और कितने सारे पेज,संपादकीय लेख, स्तम्भलेख लिखे जाते ऐसे टाइटल के साथ जहाँ लिखा जाता के ‘अहमदाबाद मोदी स्टेडियम में पंतप्रधान मोदी की उपस्थिति में भारत क्रिकेट में विश्वगुरु बन गया’ और नजाने क्या क्या लिखा जाता मगर भारतीय खिलाड़ी तो तब भी हाथ मलते ही रह जाते और भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी के उपलब्धी का सारा का सारा श्रेय कोई और ही लेकर जाता… खेल और राजनीती ये दोनों अलग पहलु है और इन्हें अलग ही रखना जरुरी है वर्ना हर दफा करोडो भारतीयों को ऐसी ही निराशाजनक परिस्थिति का सामना बार बार करते रहना पड़ेगा
‘अशांत’ शेखर
नागपुर