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30 Dec 2019 · 1 min read

—-खूबसूरत तन और मन —-

आशा ने भरकर रखा है खूबसूरत तन
निराशा ने बदल दिया उस का मन
आशा ने निराशा से कहा क्या किया तुमने
मेरे यौवन पर आज लगा दिया ग्रहण !!

निराशा ने जी भर के कहाँ
किस तरफ तेरा जा रहा यह बदन
कभी मेरी तरफ झांक के देखा
हो जायेगा बेकार एक दिन तेरा ये यौवन !!

आशा ने कहा यह सब तुम रहने दो
जिंदगी में मुझ को जी भर के जीने दो
दुनिआ को अगर आज नाज है किसी पर
तो वो बस करती है नाज मेरे बदन पर !!

निराशा ने कहा ठीक है कर ले मनमानी
एक दिन आएगा जब समझ आएगी नादानी
मन के जीते जीत है और मन के हारे हार
जा अब छोड़ दिया तुझे मैने बीच मझधार !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
389 Views
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