* खूबसूरती निगाहों में होनी चाहिए *
खूबसूरती ख्वाबों में नहीं
निगाहों में होनी चाहिए
आनन्द नजारों में नहीं
नजरों में होना चाहिए।।
करके बिस्मिल जबसे चले
तुम गम-ए-इश्क में हमको
बहे जो अश्क इन आँखों से
आब-ए-तर था रुखसार चले
तुम जो हमे गम-ए-इश्क में
इस क़दर बिस्मिल करके ।।
?मधुप बैरागी