खूबसूरती – एक खूबसूरत विचार
खूबसूरती
मन मंदिर से उपजा एक एहसास है खूबसूरती
खूबसूरती आँखों से होकर दिल में बस जाने की एक चाह
खूबसूरती जो कवि की कविता को सौन्दर्य से अलंकृत कर दे
खूबसूरती जो शब्दों में पिरोकर बयाँ की जाए तो ग़ज़ल हो जाए
खूबसूरती का एहसास जब महफ़िल को रोशन करने लगे तो वह शायर के दिल की आवाज़ हो जाए
खूबसूरती सौन्दर्य से परिपूर्ण सरिता की कल – कल करती अनवरत बहती धरा का नाम है
खूबसूरती जो जंगल के शांत वातावरण में पक्षियों का संगीत बन उभरे
खूबसूरती जो सुन्दर तन की मोहताज नहीं
खूबसूरती जो पालने में झूला झूलते नवजात शिशु की मुस्कान का एहसास है
खूबसूरती जो एक प्यासे को खुशबू से भरे जल पात्र की और मुखरित करे
खूबसूरती कहीं दो सुन्दर नेत्रों का एहसास तो कहीं इठलाती मदमस्त चाल से सभी को लुभाती
खूबसूरती मन के किसी कोने में प्रेम का एहसास जगाती तो कहीं प्रेम में इंतज़ार का एहसास होती
खूबसूरती प्रकृति के आँचल में बसती हरियाली का पर्याय होती
खूबसूरती कहीं दूर बादलों की ओट में पहाड़ों पर बर्फ की चादर होकर सभी को अपनी और आकर्षित करती
खूबसूरती के अपने पर्याय हैं
मानव मन की खूबसूरती के मायने अलग – अलग हैं
कहीं खूबसूरती पर तन हावी हो जाता है तो कभी मन
खूबसूरती तेरी आंखें बयाँ करैं तो हो जाती है दिल की धड़कन बेकरार
तेरा हुस्न की खूबसूरती हो जाती है इश्क और मुहब्बत का आगाज़
मन मंदिर से उपजा एक एहसास है खूबसूरती
खूबसूरती आँखों से होकर दिल में बस जाने की एक चाह
खूबसूरती जो कवि की कविता को सौन्दर्य से अलंकृत कर दे
खूबसूरती जो शब्दों में पिरोकर बयाँ की जाए तो ग़ज़ल हो जाए