खून पीके ही जो जीते हैं जहां में
2122 + 2122 + 2122
खून पीके ही जो जीते हैं जहां में
वो घड़ी भर ही तो रहते हैं जहां में
अर्थ कुछ होने से उनके नहीं जो
जान लेने देने आते हैं जहां में
तालियाँ बजती हैं उनकी उड़ान पे
यूँ सभी को वो चिढ़ाते हैं जहां में
मर न जाएँ ग़म के मारे रोते-रोते
नींद अपनी जो गंवाते हैं जहां में
तेरी यादों को भुला देते हैं वो यूँ
रात जगके जो बिताते हैं जहां में