खुश होकर खुशी कहती है
मन का आसमान
कभी साफ होता है तो
कभी गम के काले बादल उसे
चारों तरफ से घेर लेते हैं
लेकिन आहिस्ता आहिस्ता
इस गम की काली बादलों की चादर
को चीरकर
एक खुशी का सूरज
अनायास ही इसके पीछे से कहीं
निकलता है और
उसका प्रकाश छा जाता है चारों ओर
नभ से लेकर धरातल तक
इस बार खुश होकर
खुशी कहती है कि
अब कहीं नहीं मैं जाने वाली
जब तक तेरा जीवन है
स्थाई तौर पर हमेशा के लिए
अब तेरे साथ रहूंगी मैं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001