खुश है मन
खुला गगन,
खुश है मन,
मस्त पवन,
होकर मगन,
चहुँओर हरा,
देख ले जरा,
प्रकृति का रूप,
सुंदर स्वरूप,
धरा खुशहाल,
भरे सब ताल,
सुंदर है छवि,
कहते है कवि,
।।।।जेपीएल।।।
खुला गगन,
खुश है मन,
मस्त पवन,
होकर मगन,
चहुँओर हरा,
देख ले जरा,
प्रकृति का रूप,
सुंदर स्वरूप,
धरा खुशहाल,
भरे सब ताल,
सुंदर है छवि,
कहते है कवि,
।।।।जेपीएल।।।