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15 May 2024 · 1 min read

* खुश रहना चाहती हूँ*

” दरिया बन कें ना सही
बूंद बनकर रहना चाहती हूँ
सबके दिल में ना सही
कुछ दिलों में रहना चाहती हूँ
मेरा अस्तित्व है छोटा सा
उसमें ही खुश रहना चाहती हूँ
ना समझे जहां वाले मुझे
मैं सिर्फ खुद को समझना चाहती हूँ
जिस हाल में हूँ
उस हाल में जीना चाहती हूँ
मेरी वफाओं का ना हो यकीन किसी को
बस उस रब को यकीन रहे मुझ पर
उस रब की रजा में
खुश रहना चाहती हूँ”🥰🙏🏻

Language: Hindi
22 Views
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