खुशी
खुशी
वो खुशी देता है अपने मन की,
मैं खुशी दूँगा उसे उसके मन की ।
खुश तो होता हूँ फिर डर जाता हूँ ,
खुशी बड़ा खालीपन छोड़,जाती है ।
खुशी आती है तो मन भर आता है ,
खुशी जाती है तो मन भर आता है।
खुशी को हवा की मानिंद बहने देता हूँ,
मुट्ठी में बंद करने की कोशिश क्यों करूँ.