*खुशी (मुक्तक)*
खुशी (मुक्तक)
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खुशी की चाहतों को बंगलों-कारों में मत ढूॅंढ़ो
खुशी को पद-प्रतिष्ठा-धन के बाजारों में मत ढूॅंढ़ो
खुशी भीतर की खुशबू है, महक बसती है साँसों में
खुशी को खास मौसम-दिन के गलियारों में मत ढूॅंढ़ो
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451