“खुशी-खुशी”
खुशी-खुशी विदा किया मेहमान की तरह।
तेरा आना कुछ-कुछ बरसात सा था।
मिलो गर कभी मिलना अनजान की तरह।
तेरा रव्वैया कुछ-कुछ बेपरवाह सा था।
हमने देखा मुड़कर नहीं यूं पथ्थर की तरह।
तेरा चलना कुछ-कुछ जलप्रपात सा था।
-शशि “मंजुलाहृदय”
खुशी-खुशी विदा किया मेहमान की तरह।
तेरा आना कुछ-कुछ बरसात सा था।
मिलो गर कभी मिलना अनजान की तरह।
तेरा रव्वैया कुछ-कुछ बेपरवाह सा था।
हमने देखा मुड़कर नहीं यूं पथ्थर की तरह।
तेरा चलना कुछ-कुछ जलप्रपात सा था।
-शशि “मंजुलाहृदय”