खुशी का अभिनय
जीवन में हर पल हर कोई इंसान बस खुश रहने का अभिनय कर रहा है परंतु खुश तो कोई भी नहीं है। हर किसी को कोई ना कोई समस्या तो जरूर है ।कोई इंसान आर्थिक समस्या से जूझ रहा है और कोई इंसान मानसिक समस्या से। हर कोई इंसान यह सोच रहा है शायद मेरे सामने वाला इंसान बहुत खुश है क्योंकि दूसरे की थाली में तो हमेशा लड्डू बड़ा ही नजर आता है हम खुद को दुखी समझते हैं और दूसरे इंसान को हमेशा सुखी समझते हैं। गुरु नानक जी ने कहा है “नानक दुखिया सब संसार वह सुखिया जो नाम आधार।”
जो इंसान प्रभु नाम का सुमिरन करता है और उस प्रभु की जोत जो सबके हृदय का अंश है वो उसे हर पल महसूस कर सकता है। वह इंसान कभी भी दुखी नहीं होता बल्कि हर परिस्थिति खुश रहता है।वह ठंडे दिमाग से अपनी हर समस्या का निवारण कर जाता है और उसके चेहरे पर सदा एक संतुष्टि से भरी मधुर मुस्कान दिखाई देती है। मुस्कान से खुद भी वह खुश होता है और दूसरों में भी मुस्कान ही बाँटने की कोशिश करता है। क्योंकि हम देते वही हैं जो हमारे पास होता है। अगर हमारे पास दुख होंगे तो हम दूसरे को भी हम अपना दुख सुनाएंगे। अगर हमारे पास आत्मिक शांति होगी तो हम वही दूसरों को भी देने का प्रयत्न करेगें।
कहते है चंदन को छूने भर से भी व्यक्ति के हाथ महक जाते है तो ये तो व्यक्तित्व की बात है तो हमें अपने व्यक्तित्व को भी चंदन के समान खुशबूदार बनाना है ताकि हमारा जीवन खुशियों से महक सके।
✍माधुरी शर्मा ‘मधुर’
अंबाला हरियाणा।