-खुशियों के पल
बहुत दिनों से सोच रही
खुशियों के मैं गीत लिखूं
राह में जो छूट गई
ऐसी कोई प्रीत लिखूं
कुछ महक अपने गांव की मिट्टी की
कुछ बातें खेलों के कागज की कश्ती की
कहीं लिखूं मां का लहराता आंचल
कहीं लिखूं भाई बहन का प्यारा गाता मन
कहीं लिखूं सखियों के साथ खेलता बचपन
वही जीवन की हार जीत लिखूं
लिखूं मैं मिलकर गले
वह खेलता हमारा चेहरा मन
लिखूं मैं खुशियों का हर वह छोटा पल
खुशियों के मैं गीत लिखूं।
– सीमा गुप्ता अलवर