खुशियों के अब जाने कहाँ घराने हो गये
खुशियों के अब जाने कहाँ घराने हो गये
इस दिल को मुस्कुराए हाय ज़माने हो गये
नज़र रह गई तकती मौसम-ए-बरसात को
बादलों के जाने अब कहाँ ठिकाने हो गये
उम्र के ख़ाते में हाय दिन हज़ारों जुड़ गये
ज़िंदगी के मायने बस दिन बिताने हो गये
जुनूं की मर्ज़ी मंज़िल पर ले जाये किसको
राह-ए-उलफत पर कितने दीवाने हो गये
हम आज तक ना समझे क्या हैं चालाकियाँ
बच्चे भि इस दौर के बहुत सयाने हो गये
हो गया हम-दर्द कोई जब दर्द में शामिल
दर्द- भरे गीत भी मीठे तराने हो गये
दिल-ए-सरु की हलचल का अंदाज़ नहीं उसको
लब खुले भी नहीं और अफ़साने हो गये