Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jul 2023 · 4 min read

खुशियों का बीमा

कहानी

खुशियों का बीमा

भारतीय सभ्यता और संस्कृति की बात ही निराली है। यहाँ मानव जीवन का ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जिसमेँ धर्म और अध्यात्म की घुसपैठ न हो। सौ बात की एक बात कहूँ तो ये कि मनुष्य के जन्म के पहले से लेकर मृत्यु के बाद तक हर जगह इनकी घुसपैठ देखी जा सकती है। शादी-व्याह जैसे कैजुअल मामले में भी, जिसे इस्लाम और ईसाई धर्म में महज एक सामाजिक समझौता माना जाता है, वहीं हिंदू धर्म में इसे एक पवित्र संस्कार माना गया है। कहाँ तो आजकल एक ही जन्म घिसटते-घिसटते बिताना मुश्किल होता है, वहीं इसे सात जन्मों का बंधन बताया जाता है। मुझे तो पक्का विश्वास है कि विवाह को सात जन्मों का बंधन बताने वाला कोई अविवाहित ही रहा होगा, वरना इतनी बड़ी बात किसी विवाहित व्यक्ति के मुँह से तो निकलना संभव नहीं है।
खैर, बोलने वाला तो बोल और लिखने वाला लिख गया, बच गए हम मानने वाले निरीह मिडिल क्लास मानव। चाहे जो भी हो, जैसे भी हो, ये बंधन तो बंधन है जन्मों का… साथ निभाना साथिया… भले ही इसके लिए बारंबार पौव्वा-अध्धी का भी सहारा क्यों न लेना पड़े।
सच कहूँ तो इस गठबंधन के निर्वाह में कभी-कभी नखरे इतने नाकाबिल-ए-बर्दाश्त हो जाते हैं कि पौव्वा-अध्धी जरूरी हो जाता है, वरना बी.पी. लेबल यूँ अन-बैलेंस्ड हो जाए कि इस गाड़ी के एक पहिए का अस्तित्व ही खत्म हो जाए और एवज में दूसरे को हवालात में रहना पड़ जाए।
खैर, ये तो हुई विषम परिस्थितियों की बात। अब बात करते हैं लगभग पंचानबे प्रतिशत नॉर्मल लाइफ बिताने वाले विवाहितों की। यहाँ प्रतिशत का उल्लेख करने में हमने बेशर्मी की सारी हदें पार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। वैसे सच किसी से छुपा थोड़े न है।
जो भी हो, दिन की शुरुआत पप्पी-झप्पी के बाद नित्य कर्म से निपट चाय-नास्ते के बाद ऑफिस, ऑफिस में एक-दो बार समय निकाल कर बेवजह बतियाने, प्यार जताने और शाम को फिर से वेलकम पप्पी-झप्पी, चाय-पानी और भोजन के बाद टी.व्ही. देखते गुड नाईट मोड में चलने वाली दिनचर्या में क्रमशः पप्पू और पिंकी के आने के बाद धीरे-धीरे बदलाव भी आने लगा। परिवार के साथ ही साथ घर के खर्चे भी बढ़ने लगे, बावजूद इसके पता नहीं कब पौव्वा फिर अध्धी भी जरूरी घरेलू सामान की सूची में शामिल हो गया।
वैसे तो हम शरीफों की तरह रात को अक्सर सोते समय ही दवाई की तरह रूखा-सूखा चखना या फ्राई चिकन के साथ चार-छह पैग ले लेते। अब हफ्ते में कभी-कभार पति-पत्नी के बीच कहा-सुनी हो जाना कोई बड़ी बात तो नहीं। वैसे मुझे भली-भांति याद है कि जब भी ऐसा कुछ होता था, कुछ पड़ोसी आकर समझा-बुझाकर मामला शांत कर देते थे।
रात गई, बात गई की तर्ज पर अगले दिन सुबह श्रीमती जी पूर्ववत बड़े प्यार से दिनचर्या शुरु कर मोहक मुस्कान के साथ शाम को जल्दी आना कह कर ऑफिस के लिए विदा करती और शाम को स्वागत। यूँ ही दिन चांदी और रात सोने की तरह बीत रहे थे।
परंतु पिछले कुछ दिनों से मुझे श्रीमती जी के व्यवहार में आश्चर्यजनक बदलाव देखने को मिला। नतीजा, लगातार पौव्वा-अध्धी का सहारा और पड़ोसियों की समझाइश। ‘जानू’, ‘आई लव यू’, ‘अपना ख्याल रखना’, ‘शाम को जल्दी आना’ सुनने को कान तरसने लगे, साथ ही कान खड़े भी हो गए।
पत्नी के व्यवहार में आए इस परिवर्तन का कारण जानने को मन व्याकुल हो गया। हमने अड़ोस-पड़ोस के लोगों से यूँ ही बात की कि विगत कुछ दिनों में आसपास क्या कुछ खास घटा है। एक पड़ोसी ने बहुत ही गंभीर बात बताई कि 20-22 दिन पहले एक बीमा कंपनी वाले हमारी कॉलोनी में प्रजेंटेशन देकर गए हैं और खास बात यह कि प्रजेन्टेशन के बाद कॉलोनी की लगभग सभी महिलाओं ने सप्ताह भर के भीतर एक-दो पॉलिसी भी ली ही है।
”हूँह, तो यह बात है श्रीमती जी के मूड उखड़ने का” मन में सोचा। तुरंत मुझे याद आया कि 20-22 दिन पहले श्रीमती जी ने बच्चों के भविष्य की दुहाई देकर दस लाख रुपये की बीमा पॉलिसी के पेपर पर उन खास पलों में कैसे साइन करवा लिया था। जबकि उसने समझाने की भरसक कोशिश भी की थी कि ए.टी.एम. के साथ मिलने वाले टर्म इंस्योरेंस के अलावा दो-दो लाख रुपये के प्रधानमंत्री बीमा योजना भी आलरेडी ले रखी है।
अब हमने उस बीमा एजेंट का पता-ठिकाना पता लगाना शुरू किया। थोड़ी-सी मेहनत के बाद ही हम दो पड़ोसियों के साथ, जिनकी हालत कमोबेश हमारे जैसी ही थी, उसके सामने खड़े थे।
हमने उस मरियल से दिखने वाले ओव्हर स्मार्ट बंदे को बड़े ही प्यार से समझाया, “देखो भइए, तुमने कॉलोनी की भोली-भाली महिलाओं को इमोशनल करके पॉलिसी तो बेच दी है, पर ये मत भूलो कि हर बार प्रीमियम हमारे ही जेब से निकलना है। अब तुम्हारी भलाई इसी में है कि हमारी कॉलोनी में एक प्रजेंटेशन और दो। सभी महिलाओं को अच्छे से समझाओ कि शराब या किसी भी प्रकार के नशे या संदिग्ध मौत पर बीमा का क्लेम नहीं मिलता है।”
सामने साक्षात यमदूतों को देख और पॉलिसी लेप्स होने के भय से वह भी तुरंत मान गया। हमारी खुशियों पर लगे बीमा का ग्रहण अब हट गया। नतीजा कुछ ही दिनों में हमारी गृहस्थी की गाड़ी पटरी पर आ गई।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

136 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
चप्पलें
चप्पलें
Kanchan Khanna
मनु-पुत्रः मनु के वंशज...
मनु-पुत्रः मनु के वंशज...
डॉ.सीमा अग्रवाल
मै ज़ब 2017 मे फेसबुक पर आया आया था
मै ज़ब 2017 मे फेसबुक पर आया आया था
शेखर सिंह
दोहा- सरस्वती
दोहा- सरस्वती
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अस्तित्व की तलाश में
अस्तित्व की तलाश में
पूर्वार्थ
उनकी जब ये ज़ेह्न बुराई कर बैठा
उनकी जब ये ज़ेह्न बुराई कर बैठा
Anis Shah
..
..
*प्रणय प्रभात*
बड़ा सरल है तोड़ना,
बड़ा सरल है तोड़ना,
sushil sarna
तेरा हम परदेशी, कैसे करें एतबार
तेरा हम परदेशी, कैसे करें एतबार
gurudeenverma198
हिंसा न करने का उथला दावा तथा उतावला और अनियंत्रित नशा एक व्
हिंसा न करने का उथला दावा तथा उतावला और अनियंत्रित नशा एक व्
Dr MusafiR BaithA
3226.*पूर्णिका*
3226.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
9) खबर है इनकार तेरा
9) खबर है इनकार तेरा
पूनम झा 'प्रथमा'
कुछ नहीं बचेगा
कुछ नहीं बचेगा
Akash Agam
मैने थोडी देर कर दी,तब तक खुदा ने कायनात बाँट दी।
मैने थोडी देर कर दी,तब तक खुदा ने कायनात बाँट दी।
Ashwini sharma
Kashtu Chand tu aur mai Sitara hota ,
Kashtu Chand tu aur mai Sitara hota ,
Sampada
दो शे'र ( चाँद )
दो शे'र ( चाँद )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
मेरा दिल हरपल एक वीरानी बस्ती को बसाता है।
मेरा दिल हरपल एक वीरानी बस्ती को बसाता है।
Phool gufran
किसी तरह की ग़ुलामी का ताल्लुक़ न जोड़ इस दुनिया से,
किसी तरह की ग़ुलामी का ताल्लुक़ न जोड़ इस दुनिया से,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*जीवन-आनंद इसी में है, तन से न कभी लाचारी हो (राधेश्यामी छंद
*जीवन-आनंद इसी में है, तन से न कभी लाचारी हो (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
"हकीकत"
Dr. Kishan tandon kranti
Storm
Storm
Bindesh kumar jha
मैं इन्सान हूँ यही तो बस मेरा गुनाह है
मैं इन्सान हूँ यही तो बस मेरा गुनाह है
VINOD CHAUHAN
मैं अपने बिस्तर पर
मैं अपने बिस्तर पर
Shweta Soni
भीड़ दुनिया में हद से ज़्यादा है,
भीड़ दुनिया में हद से ज़्यादा है,
Dr fauzia Naseem shad
नशा रहता है इस दर्द का।
नशा रहता है इस दर्द का।
Manisha Manjari
जै जै जै गण पति गण नायक शुभ कर्मों के देव विनायक जै जै जै गण
जै जै जै गण पति गण नायक शुभ कर्मों के देव विनायक जै जै जै गण
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Jul 18, 2024
Jul 18, 2024
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रोबोटयुगीन मनुष्य
रोबोटयुगीन मनुष्य
SURYA PRAKASH SHARMA
विश्वास मत तोड़ना मेरा
विश्वास मत तोड़ना मेरा
Sonam Puneet Dubey
Loading...