खुशियां आएँ (कुंडलिया)
खुशियाँ आएँ 【कुंडलिया】
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आएँ ऋतु अपने समय ,वर्षा जाड़ा ताप
खुशहाली हो हर दिशा ,हर्षित हों सब आप
हर्षित हों सब आप ,कृषक खेती हर्षाए
सूखा कहीं न बाढ़ ,हे प्रभो हर्गिज आए
कहते रवि कविराय ,बिगड़ने खेत न पाएँ
प्रचुर रहे धन-धान्य ,देश में खुशियाँ आएँ
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451