खुशियाँ तुमसे -है
“खुशियाँ तुमसे -है ”
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जीवन में खुशियाँ तुमसे है
यह जाना मैने आज सही,
जीवन के आँगन में -थे
अगणित तारे …,
जो लगते थे कितने प्यारे से
कुछ हँसते थे कुछ रोते थे
कुछ दूर रहे-कुछ पास रहे
कुछ टूट गये-कुछ बिछुड़ गये
पर,हमने कभी न शोक किया
जीवन में खुशियाँ तुमसे है
यह जाना मैने आज सही ,
उपवन में कितनी कलियाँ हैं
वल्लरियाँऔर पुष्प लतायें हैं
जो नित सुबह सवेरे खिलतीं
और साँझ ढले मुरझा जाती हैं
जो कहती हैं …,
तुम रहो सदा खुश इस जीवन से
क्योंकि ये भी इक दिन मुरझायेगा
यह इस नश्वर जगत का सच है
जीवन में खुशियाँ तुमसे है
यह जाना मैने आज सही ,
तुम आज मुझे बहला देती हो
संताप मेरे तुम हर लेती हो
जबअसहज होता हूँ जीवन में -मैं
पर डर लगता है सदा -मुझे
क्या होगा उस एकाकी जीवन का
जब छोड़ चली जाओगी
इस नश्वर निष्ठुर संसृति को
यह जाना मैं आज सही
जीवन में खुशियाँ तुमसे है ||
शशि कांत श्रीवास्तव
डेराबस्सी मोहाली ,पंजाब
©स्वरचित मौलिक रचना
20-02-2024