खुशामद:=खुशी+आमद!!
,”क्षणिकाएं!”
खुश धन आमद बराबर खुशामद!
खुशियां मिले,
बिना आमद,
अपनी कहां ऐसी किस्मत,
जब भी पाना होता है कुछ,
तो करनी पड़ती है,
यह खुशामद!
खुशामद चाकरी पाने की,
खुशामद नौकरी पे जाने की,
खुशामद सिफारिश लगाने की,
खुशामद टिकट हथियाने की,
खुशामद मंत्री बनवाने की,
यानी कि खुशामद ही है,
इस युग में हर सफलता को लाने की!!
खुशामद के लिए हमें,
क्यां क्यां नहीं करना पड़ता है,
किस की कहां पर चलती है,
पहले उस तक पहुंचने की,
करनी पड़ती है खुशामद,
फिर उस तक पहुंच कर,
उसकी करनी पड़ती है खुशामद!
फिर वह तय करता है,
उसे करनी है या नहीं करनी,
इस खुशामदी के लिए खुशामद,
और यदि उसने मना कर दिया,
तब तो फिर उन दोनों की ही,
करनी पड़ती है खुशामद!
वह दोनों यानी कि, पहले वाला जिसने की इन्हें सुझाया है,
फिर वह भी जिसने की ठुकराया है,
उन दोनों को मनाना है,
अपना काम निपटाना,
और इस सब के लिए,
वह सब कुछ कर जाना है,
जो उचित है या अनुचित,
बस अपना काम चलाना है!
बस यही एक मात्र राह बन गई,
आज के ज़माने में,
अपना काम चल जाए,
और भाड में जाए,
हम ही कब तक इस दुनिया दारी को निभाएं,
जो हमारे ही काम ना आए!!
इस लिए ही तो अब,
लोगों ने यह धार लिया है,
अपना काम चलाया जाए,
इसके लिए चाहे,
कोई भी नीति अपनाई जाए,
और वह नीति ही यह है,
खुशामद में ही आमद है,
करी इस लिए ही खुशामद है!!