खुशहाल गरीब
खुशी गर बाहर ,भौतिकता में होती,
गरीब वर्ग हमेशा वंचित, ही रह जाता,
अनुभूति में छुपी हुई,चाहत है वो पाता,
वो दुखियों के दुख भी, सदा है हर लेता.
महेन्द्र सिंह हंस
खुशी गर बाहर ,भौतिकता में होती,
गरीब वर्ग हमेशा वंचित, ही रह जाता,
अनुभूति में छुपी हुई,चाहत है वो पाता,
वो दुखियों के दुख भी, सदा है हर लेता.
महेन्द्र सिंह हंस