खुल ए आम।
अपनी जिंदगीं को तुम्हारे नाम कर रहा हूँ,
तुम्हारे वजूद को पाकर मैं गुमान कर रहा हूं।
ज्यादा डरना भी परेशानी का सबब बन जाता है,
लो हमारे रिश्ते को मैं खुल ए आम कर रहा हूं।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍
अपनी जिंदगीं को तुम्हारे नाम कर रहा हूँ,
तुम्हारे वजूद को पाकर मैं गुमान कर रहा हूं।
ज्यादा डरना भी परेशानी का सबब बन जाता है,
लो हमारे रिश्ते को मैं खुल ए आम कर रहा हूं।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍