खुलूसो ऐतबार मोहब्बत की पहचान होते हैं
खुलूसो ऐतबार मोहब्बत की पहचान होते हैं
मोहब्बत न हो जिनमें वो रिश्ते बेजान होते है
सिर्फ नज़रों का मिल जाना ही मोहब्बत नहीं है
मोहब्बत के भी कुछ उसूलो अरकान होते हैं
तमाम सफर दुश्वारियां ही पेश आती रहती हैं
मोहब्बत के रास्ते कहां कभी आसान होते हैं
सब जानते हैं मोहब्बत में हासिल कुछ नहीं होगा
लोग दिल लगा कर ख्वामखा परेशान होते हैं
बेशक मोहब्बत से ही क़ायम है ये दुनिया लेकिन
लोग कहते हैं मोहब्बत करने वाले नादान होते है
तुम्हें मिली है मोहब्बत ये अपनी खुशनसीबी समझो
मोहब्बत के देवता कहां सब पर मेहरबान होते हैं
न जाने क्यों करते है मोहब्बत की खिलाफत लोग
जहां मोहब्बत नहीं रहती वो शहर वीरान होते हैं
नफरतों के दिए ज़ख्म मोहब्बत से ही भर सकते हैं
फिर भी कुछ लोग मोहब्बत से बदगुमान होते है
हर एक दिल के किसी गोशे में होती है ये पोशीदा
मगर कुछ लोग उस मोहब्बत से अंजान होते है
मिले फुर्सत तो किसी से ‘अर्श’ मोहब्बत तुम भी कर लेना
जो लोग मोहब्बत नहीं करते वो बहुत पशेमान होते हैं
Mohd Azeem “Arsh”
Pilibhit, UP