खुली चुनौती
नहीं माने बात हमारी
किया प्रयास कई बार
लेकिन हर बार समझे
शांति और बातचीत को
हमारी कमजोरी ।
हुई जब जगहंसाई चहुँओर
बात तब समझ में आई
नहीं मिला जब समर्थन
विश्व के किसी कोने से
बात तब तुम्हें समझ आई
“कि यह 1962 का भारत नहीं
ये 2017 का भारत है”
नहीं डरने वाले हम
तुम्हारी गीदड़ भभकियों से
तोड़ ही दिया घमंड तुम्हारा
बिना इस्तेमाल किए
चाइनीज चीजों से ।
ध्यान रहे !
फिर कभी किया ऐसा
तो
यूं ही सीमा से बैरंग
वापस लौटा दिए जाओगे
याद रखना !
अब भारत वह नहीं
कोई आए,
कुछ भी कहे ,
कुछ भी कर जाए
ऐसा अब कदापि नहीं होगा
दुश्मन को जवाब
अब उसकी ही भाषा में होगा ।