खुराफात करती है
पहले तो दिल दुखाया वो अब नही बात करती है
बढाए दूरी पहले वो —– फिर मुलाकात करती है
कभी पास ही न बैठे जो हमारे कुछ पल ही सही
बड़ा दावा है उसका याद वो दिन रात करती है
बगैर वजह ही अक्सर मुझसे यूं रूठ जाती है
मनाऊ उसे तो अंखियो से फिर बरसात करती है
कभी किसी भी कारण घर अगर मै देरी से जाऊँ
शुरू मुझपर वो अपनी फिर तहकीकात करती है
कभी तकरार करे या फिर मोहन प्यार करती हो
मगर हर रोज ही नई मुझसे खुराफात करती है
खुराफात शरारत