“खुरच डाली है मैंने ख़ुद बहुत मजबूर हो कर के।
“खुरच डाली है मैंने ख़ुद बहुत मजबूर हो कर के।
वो इक दीवार जिस पे सौ जगह बस नाम था मेरा।।”
■प्रणय प्रभात■
“खुरच डाली है मैंने ख़ुद बहुत मजबूर हो कर के।
वो इक दीवार जिस पे सौ जगह बस नाम था मेरा।।”
■प्रणय प्रभात■