”बस खुद को जीतना”
कविता-03
उदास हो जाना
टूट जाना
बिखर जाना
झल्लिया जाना
बर्बाद हो जाना
खुद के आगे मर जाना
सबकुछ हो जाना
कुछ पल के लिए…
मगर
ज़माने के सामने
खुद को हारने मत देना
खुद में साहस भर के
मुकाबला करना
खुद की हिम्मत के आगे
ये जमाना कुछ भी नहीं
बस खुद को जीतना