मायूस ज़िंदगी
खुद ही ग़लती करता है, यह कितना नादान है…!
मन की गहराई में बांकी कितने अरमान हैं…!!
बिना मंजिल की यह सफर चोट बहुत देता है…!
बड़ा अजीब लगता है जब दर्द दिल में होता है…!!
मेरा हर सपना क्यों अधूरा ही रह जाता है…!
रात रात भर जागता हुँ वक़्त गुजर जाता है…!!
फिर भी मंजुर है जहर का यह घूँट……!
मन तो चंचल है युही बहल जाता हैं…!!
मुझे तो ये लगता है मुझमें कोई बात नहीं….!
बिना बजह जीने की अपनी कोई हालात नही…!!