खुद से रूठ बैठे
** खुद से रूठ बैठे ***
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हम तुम्हें मनाते-मनाते
हम खुद से हैं रूठ बैठे
तुझको याद करते करते
हम खुद को है भूल बैठे
जीवन में तुझे पाते पाते
खुद को खुद से खो बैठे
लाख कोशिशें कर हारे
नाकाम हो कर घर बैठे
अधूरा प्रणय अफसाना
राहों में पसर कर बैठे
हमारा प्रेम का तराना
राग बेसुरे हम कर बैठे
तुम बेवफा तो नहीं थे
बेवफाई क्यों कर बैठे
सुखविंद्र याद में पुकारे
नजारे जिंदगी खो बैठे
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)