खुद से न मिल सका।
खुद से कभी भी मिल न सका।
आत्मा से दूर होता चला गया।
जीवन सुगम बनाने के लिए।
नई नई राहें बनाता चला गया।
ईश्वर ने तेरे लिए सब कुछ बना दिया था।
फिर भी असंतोष बढ़ाता चला गया।
अमृत पान छोड़ कर !
जहर पीता चला गया।
खोज पर खोज करता रहा।
प्रक्रति का दोहन करता चला गया।
नही समझा मौन की भाषा।
इसलिए बचाल होता चला गया।
अगर समझ जाते यज्ञ हवन की महत्ता।
आक्सीजन की कमी से बंचित होता चला गया।